श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि। सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥ चारों जुग परताप तुह्मारा । भावार्थ – आपने वानर राज सुग्रीव का महान् उपकार किया तथा उन्हें भगवान् श्री राम से मिलाकर [बालि वध के उपरान्त] राजपद प्राप्त करा दिया। श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु https://francisa186wch1.blogpixi.com/profile